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Shikhaa Sharma

Inspirational

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Shikhaa Sharma

Inspirational

संहार में सृजन

संहार में सृजन

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संहार में ही तो सृजन है,

यही तो गतिमान प्रतिपल है ।

नवजीवन की नींव संहार में ही तो रची जाती है ।

एक नव समाज की नींव भी तो इसी दौर में गढ़ी जानी है ।

देखो !! वर्तमान में कितना कुछ है बदल रहा ।

चहुं ओर फैली आपदा में कितना कुछ हर निखर रहा ।

विषमताओं में संभावनाओं की कमी नहीं है ,

ज़रा !! देखो तो पृथ्वी कितने नए रूपों में ढल रही है ।

पहली बार हम सभी के हित आपस में जुड़ रहे हैं ।

तुम ठीक हो तो हम ठीक हैं । सभी यही कह रहे हैं ।

ये आत्म मंथन का दौर है ।

धैर्य, साहस आत्म शक्ति ही तो हमारे सिरमौर हैं ।

हम सब अपने शुभ कर्मों की आहुति इस यज्ञ में नित देंगे ।

कोई भी दुखी इस समय वंचित न रहे इस प्रण पर डटे रहेंगे ।

जहां अन्य देशों ने इस महामारी के सामने घुटने टेक दिए हैं ।

वहीं भारत इस आपदा से लोहा ले रहा है ।

गौर से देखो !! इस संहार में भी नवीन मजबूत भारत का सृजन हो रहा है । 

इस संहार में भी नवीन मजबूत भारत का सृजन हो रहा हर। 



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