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Shikhaa Sharma

Abstract

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Shikhaa Sharma

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खुद से मुलाकात

खुद से मुलाकात

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आज दो घड़ी के लिए खुद से मुलाकात की 

कितनी ज़िंदा हूं यह जानने की तहकीकात की 

मुस्कुराते होठों दमकते चेहरे के पीछे कहीं कुछ दफन तो नहीं !!

उन वजाहतों को कुरेदने की कोशिश की 

पर सुकून हुआ ये जान कर कि

हर मुस्कुराते चेहरे के पीछे हमेशा कोई 

दर्द ही नहीं छिपा रहता उसकी मुस्कुराहट के पीछे 

उसका शीशे की मानिंद चमकता उसका बीता कल होता है

जो आज की मुस्कुराहट हो उसकी पहचान बनाता है ।


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