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Shikhaa Sharma

Tragedy

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Shikhaa Sharma

Tragedy

पहचान

पहचान

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दरक रहें हैं अहसास,

हिल रहें हैं जज़्बात,

ग़र न दिखें तो पहचान न होगी...

कैसे भी गठजोड़ कर दिखना ही होगा ।

जो दिखेगा वही तो बिकेगा !!

ये किस मौज़ू को चल रहें हैं 

गोया कि हम भी बाज़ार हो गए हैं ।


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