वैदेही...
वैदेही...
जनक सूता वैदेह कुमारी
मिथिला कीर्ति, मैथिली भवानी
शांत चित्त, मनमोहक सुंदरता
सुनैना दुलारी लक्ष्मी अनुकंपा
वेद शास्त्र की ज्ञाता देवी
हरती पीड़ा प्रजा जन के ही
रघुकुल की कुल वधु पुनीता
राम ब्याह लाए जब सीता
मर्यादा शील महा सती भवानी
पति सेवा सर्वोपरि मानी
त्याग दीनही महल वैभव सारे
पति संग चले वनवास बिताने
पति चरणों की एकनिष्ठ सेवा
रावण अहं नष्ट कर दीन्हा
एक कुश तिनका रक्षक तुम्हारी
जय महा सती जग जननी भवानी
अयोध्या महारानी राम चित्त प्रिया
राम धर्म सहचरी गुनिता
रघुवर को दे पति धर्म से मुक्ति
त्याग गृह स्वामी वनवासी होली
पत्नी धर्म निभाए सीता
दृढ़ संकल्पि स्वावलंबी सलिला
कर्मठ, तपस्वी, सर्वोत्तम नारी
धीरज वान, सुशील सुकुमारी
दो तेजस्वी सुकुमार की जाया
लव कुश पे मातृ भक्ति की छाया
शूरवीर बलशाली दोऊ भाई
सीता के तप के सुखद फल दायी
किन्तु अवध वासी की मति गई मारी
जो ना समझे लीला मात भवानी
दे अग्नि परिक्षा थकी जब माता
किया आह्वान पृथ्वी माता का
सौप रघुवर को अवध धरोहर
प्रस्थान की माता बैकुंठ सरोवर
वात्सल्य सलिला, जानकी माता
परम शिरोमणि रघुवीर भार्या
पति धर्म की सूचक तुम ही
नारी शक्ति की श्रोत भी तुम ही
आज जानकी जयंती प्रणाम स्वीकारो
दे साहस वो शक्ति हर विपदा से टारो!
