भोजपुरी कविता - बाबू जी क आद आवे
भोजपुरी कविता - बाबू जी क आद आवे
केवनों दिन अइसन ना होला जब मनवा ना दुखाए
पिता दिवस भा औरी दिनवा ना बाबूजी क आद आवे
उनकर पालल पोशल बा ई देहीया हमार अबले
उतरी कईसे कर्जा पिता जी के जिंदा रहब जबले
उनकर निसानी हमार जवानी अब बुढ़ापा दुख पहुंचावे
अंगूरी पकड़ के चलल सिखवले डुगुर दुगुर येह धरती
छोड़ती ना अंगूरी उनकर यदि उ अबले जिंदा रहती
उनकर कथनी का हम बरनी अबले हमके रहिया देखावे
केतना गइली मेला देखे उनकर चढ़ी के कान्हा
पढे के बेरिया पुछला पर बनाई खूब हम बहाना
दुलारी पुचकारी चॉकलेट के लालच क ख ग पढ़ावे
डांटी फटकारी बनवले आदमी समाज मे रहे खातिर
जी जान से पढ़वले लिखवले साहब बनेके खातिर
आज बाबूजी नईखन बाकी याद में अँखिया भर आवे।
