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Neeraj pal

Inspirational

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Neeraj pal

Inspirational

अंतर -वेदना।

अंतर -वेदना।

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गुरुवर कैसे पहुँचे तुम्हरे दर पर, घनघोर घटा है छाई।

यह पता नहीं था कभी भी ,एसी  विपदा है आई।।


कर वह पुरानी यादें, मन को समझा लेता हूँ।

"शबरी" ने भी प्रभु राम की, वर्षों से आंख बिछाई।।


 तुम रखते हो खैर सभी की ,ऐसी कृपा है बरसाई।

मन ना जाने फिर भी ,व्याकुल है करने को मिलाई ।।


 क्यों किया है प्यार इतना, जो सह ना सके यह जुदाई।

अवसाद ग्रसित यह मन हैै, प्रभु तुम ही पार लगाई ।।


भय से काँपता यह दिल है, कुछ देता नहीं दिखलाई।

बस नाथ तुम ही हो "मेरे मालिक" "नीरज" है बड़ा दुखदाई।।


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