चरण-शरण
चरण-शरण
प्रभु जी अब कोई न सूझत हमारौ।
तुमसा न दाता इस जग में कहां हाथ पसारौं।।
तुम ही सोचौ हित मोरा, बिगड़ी हमारी समारौं।
किस दर मैं दुखड़ा रोऊँ जहां नैनन आँसू ड़ारौं।।
मुझ अनाथ के नाथ तुम्ही हो पितृ तुम्ही हमारौं।
प्रेम-साधना तुमने ही दिनी सब कुछ तुम पर वारौं।।
शरणागत की लाज तुम राखत एही कारज पुकारौं।
"चरण-शरण" "नीरज" है तुम्हारे उबारौ या दुतकारौ।।