चंद्रघटा
चंद्रघटा
शक्ति का तृतीय रूप,
लेके चंद्रघटा आई,
शेर पे सवार होके,
भक्तों के उद्धार को।
माथे सोहे अर्धचंद्र,
स्वर्ण रूप मोहे मन,
हाथ में तलवार है,
दुष्टों के संहार को।
अस्त्र शस्त्र सुस्सजित,
रण को तैयार बैठी
शेर पे सवार माँ के
कौन बचा वार से।
कल्याणकारी माँ सदा,
बनी रहे कृपा तेरी
माँ दुष्टों के प्रभाव से
उबारो संसार को।।