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Kawaljeet GILL

Drama

3  

Kawaljeet GILL

Drama

चंचल सा ये मेरा मन

चंचल सा ये मेरा मन

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चंचल सा ये मन मेरा,

आज भी पुरानी यादों में

चला जाता है,


याद आ जाती है वो शैतानियाँ

जो हम किया करते थे,

वो बाहों में तेरी झूलना

अच्छा लगता था,


वो तेरा लाड़ प्यार

जान थी हमारी,

ओ बबूला तेरी याद

जब भी आती है,


हम बचपन की

यादों में खो जाते हैं,

हर ज़िद अपनी

मना लिया करते थे,


माँ को तो हमने

बहुत सताया है,

नटखट थे हम इतने की

उसे बहुत रुलाया होगा,


पीछे-पीछे घूमना पड़ता था

उसे हमारे खाना लेकर,

नींदें उसने की हराम कई रातों की

हमारे बीमार होने पर,


भूल नहीं पाते हैं हम

कर्ज़ ये बाबुल तुम्हारे और माँ के,

चंचल सा यह मन मेरा...।


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