चलो पेड़ लगाते है
चलो पेड़ लगाते है
आसमान में काले बादल
मंडरा रहे है
पर वर्षा
नहीं हो रही...
आँसू बह रहे है
गला सूख रहा है
पर उदास बादल तो
उतर ही नहीं रहे है...
हवा गर्म हो रही है
मिट्टी फट रही है
और धरती माँ की तो
जान ही निकल रही है...
आसमान में काले बादल
मंडरा रहे है
पर वर्षा
बिल्कुल भी नहीं हो रही है...
पपीहे बोली
मोर नाचे
कोयल गायी
मीठी स्वर में...
और मछलियाँ
पानी के बिना मर रही है...
मौसम भी भटकी है
पृथ्वी गर्म हो गयी है
पक्षियाँ पानी के लिए
तरस रही है
और धरती की गोद की
जीव-जन्तु
ताक रहे है आसमान की ओर
वर्षा की आशा से...
आसमान में काले बादल
मंडरा रहे है
पर वर्षा
बिल्कुल नहीं हो रही है...
जंगल-पहाड़ उजड़ कर
शहर-नगर बसा रहे है
कल-कारखाने बन रहे है
पेड़-लताओं पर
दुश्मनों की बुरी नजर
लगी है...
हरे पेड़ न होने के कारण
जंगल-पहाड़ न होने के कारण
आसमान के बादल भी उदास है
धरती माँ की गोद में
नहीं उतर रही...
आसमान में काले बादल
मंडरा रहे है
पर वर्षा
नहीं उतर रही...
चलो पेड़ लगाते है
जंगल-पहाड़ को बचाते है
पुरे धरती को
हरियाली बनाते है
तभी तो काले बादल
धरती में उतरेंगे
और हमारी जान बचायेंगे...