Ruchika Rai

Abstract

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Ruchika Rai

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चलो कुछ यूँ मुस्कुराया जाए

चलो कुछ यूँ मुस्कुराया जाए

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चलो आज कुछ यूँ ही मुस्कुराया जाये,

अपनी शिकायतों को दफनाया जाये।


बात बात पर किस्मत को क्यूँ दोष देना,

चलो जो मिला उसको अपनाया जाये।


गलतियाँ इंसानों से ही होती है अक्सर

चलो उस पर अफसोस जताया जाये।


कुछ लोग दर्द में रोते ही रहते अक्सर,

चलो उन्हें अपने कर्मों से हँसाया जाये।


दूसरों पर बोझ क्यों बनते हो यारों,

चलो अपना बोझ खुद ही उठाया जाये।


बाँटने से दर्द कम होता है अक्सर,

चलो किसी को दर्द को बताया जाये।


कुछ लोग चेहरे पर मुखौटा लगाए हैं

चलो खुद को उनसे ही बचाया जाये।


कुछ लोग खुद को अकेला मान बैठे हैं,

चलो उनको गले से है लगाया जाये।


राहें जीवन में काँटे मिलते हैं अक्सर,

चलो उन काँटों में फूल खिलाया जाये।


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