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Akanksha Srivastava

Inspirational

4  

Akanksha Srivastava

Inspirational

चलो एक बार फिर माँ को याद करे

चलो एक बार फिर माँ को याद करे

3 mins
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चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते है

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते है

पुरानी तस्वीरें इंस्टा फेसबुक पर साझा कर लिया करते हैं

भले ही दिल में सम्मान कम हो

भले ही दिल में सम्मान कम हो

मगर कुछ तो लिखना है मदर्स डे पर

इसीलिए एक तस्वीर साझा कर लिया करते है

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते हैं

माँ जब भी किसी बात को कहती है हम खिसिया के कहते है

ओफ्फफोह, यार कितना चुल करती हो

अभी तो फोन उठाया था कि हर समय फोन फ़ोन करती हो

औरों की माँ से कुछ सीखो

औरों की माँ से कुछ सीखो

कैसे वो उफ़्फ़फ़ भी नहीं करती

एक तुम हो कि हर समय जीना हराम कर देती हो

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते हैं

जब वो कहती है उठ जा सुबह हो गयी

तब तुम कहते हो अभी तो सोया था

वो कहती नालायक रात भर क्या करते हो

हम खिसिया के कहते मम्मी यार तुम ना जमाने के साथ चलो

काहे को ये हमारे पीछे पड़ी रहती हो

वो हक जता कर कहती

वो हक जता कर कहती

बच्चे हो तुम मेरे अपने ,

इसीलिए खयाल रखती हूं

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते हैं

जब जब ये मातृत्व दिवस आता है

तुम पोस्ट क्या करना है कितने व्यूज लाने है

उसकी तैयारी करते हो

कभी तो ,

कभी तो इन झूठे वक़्त से बाहर निकलो

माँ के साथ वक़्त जाया करो

माँ का प्यार झूठा नहीं

माँ का प्यार झूठा नहीं

वो तो अटूट प्रेम करती है

लाख कर लो माँ की बुराई या बेइज्जती

वो सब भूलकर अपनाती है

कभी तो

कभी तो तुम भी माँ को अपनाया करो

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते हैं।

बीवी आने पर तुम बात बात पर माँ पे रौब जमाते हो

अरे पगले वो तो माँ है

तेरी हर हर क्क्त को बचकाना समझ लेती है

पिता के जाने के बाद उसका कौन बचता है

पिता के जाने के बाद उसका कौन बचता है

ये सोच सोच ही वह रुंध जाती हैं

कभी सोचा है कि ये ख्याल क्यों आते है उसके जहन में

तुम्हारे होते हुए

कभी सोचा है कि ये ख्याल क्यों आते है उसके जहन में

पति भले चला गया बेटा तो अभी बाकी है

जिसके पैदा होने पर वो नाज किया करती थीं

आज वो खुद को इतना असहाय क्यों समझती है

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते है

जब छोड़कर दुनिया से चली जाती है माँ

तब तब तुम माँ माँ कह कर पिघल उठते हो

जब वक़्त था माँ के साथ जीने का

तब तब तुम बरस पड़ते थे

जब उसे जरूरत थी तब तब तुम झिड़क दिया करते थे

जब जब जरूरत थी तुम्हें उसके आंचल में लिपट लिया करते थे

जब जरूरत थी उसे तब तुम समय ना रहने का बहाना किया करते थे

भले ही घण्टों बाबू सोना से बात किया करते थे

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते है

चलो एक बार फिर माँ को याद कर लिया करते है।


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