चल रहे हैं
चल रहे हैं
जहा दौड़ते थे सरपट पहिए कभी
आज वहाँ मंद तीव्र चल रहे हैं,
कदम गरीब के
जो निकले थे घर से पेट भरने के लिए
आज भूखे सड़क पर सर पर सामान लादे
छोटे छोटे बच्चों को लिए चल रहे हैं,
कुछ पहुँच गए घर अपने
कुछ परिवार से मिलने को तरस रहे हैं,
आज बहुत से लोग पैर में छालें
लिए राज्यों को लांघ मीलों चल रहे हैं,
पुलिस की लाठी खा
सड़क पर गाड़ी ट्रक
ट्रेन की पटरियों पर ट्रेन के
पहियों से कट रहे हैं,
बेबस बेगुनाह मजदूर मौत
जान हत्थेली पर लिए चल रहे हैं,
योजनाओं से लाभान्वित हो रहे
जिसे ज़रूरत नहीं हैं वे लोग
लंबी लाइनों में लगे लोग
एक वक्त भोजन भी नहीं
आधा पेट भर चल रहे हैं,
मजबूर हैं क्या करें कोई राह नहीं
रास्ते भी लंबे हो रहें हैं,
बस मिलेंगे परिवार से
कुछ करेंगे कार्य खाएंगे खाना साथ में
भोजन बेशक पानी से ही सही, भरेगा पेट,
यहाँ तो पानी भी नहीं दूर दूर तक
अपने घर सोएंगे बेफिक्र बिना भय के
बस इसी, उम्मीद आशा के साथ आगे बढ़ रहे हैं,
ना लॉक डाउन खत्म हुआ ना इंतजार
लॉकडाउन तोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं
इसीलिए चल रहे हैं।