चिन्तन
चिन्तन
भोजन के मेज, भोजन पकाने का स्लैब
गुड़-चीनी आटे-चावल के डिब्बे पर लगे
चींटियों से त्रस्त होकर
लक्ष्मण-रेखा खिंचती ,सोचती रही,
सताते हुए वक्त से शिकायत कर लूँ !
थमना होगा थमने योग्य समय
कहाँ से चुराकर लाऊँ।
संयुक्त परिवार में कई जोड़ी हाथ होते थे
कई जोड़ी कान भी होते थे
विरोध से उपजे आग को
एक अकेला मुँह ही ज्वालामुखी बनाने में
महारथ हासिल किए रहता था।
दाँत-जीभ को सहारा बनाये मुँह
मुँह का खाता रहता
लम्बी-लम्बी हांकता रहता..
अन्न फल से संतुष्ट कहती
मिट्टी भी हितकारी हो।
सपरिवार हम सबके लिए
हर पल मंगलकारी हो।