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चीता तेरे वार से

चीता तेरे वार से

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(भारत के जांबाज कमांडेट चेतन कुमार 'चीता' के अदम्य साहस को समर्पित मेरी ये कविता)


चीता तेरे वार से,थर्राया पाकिस्तान ।


सरहद पर दुश्मन ने किया

फिर से जंग ऐलान

मात्रभूमि के मुकुट को पाने

चला ये पाकिस्तान

गोला बारूद से भर दिया

कश्मीर का ये मैदान

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


पीठ पीछे के वार में

महारत ये पाकिस्तान

सोलह गोली खाकर भी

लड़ रहा मेरा जांबाज

एक ही गोली से ढेर किये

तेरे कई गुलाम

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


चेतन में चेतक सी फुर्ती

मन में अटल विश्वास

शत्रु के अरमानों के लिए

बाधक बना ये महान

घर घर गूंज रहा है अब

चीता तेरा नाम

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


बारिश बर्फ सर्द मौसम में

सीमा पर तैनात

अदम्य साहस से पूरित

मेरे वीर जवान

मन में उमंग भर रहा

चेतन तेरा साहस

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


मत कर नापाक कोशिश

अपनी छवि को सुधार

जियो और जीने दो पर

अमल कर ओ पाकिस्तान

अपनी कौम की आवाज को

कुछ तो दे पहचान

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


ना तेरा हित ना मेरा हित

सब जंग से हुए बर्बाद

हिंसा का कोई धर्म नही है

अब तो ये जान

प्रगति के पथ पर

चलना होगा साथ

चीता तेरी दहाड़ से

थर्राया पाकिस्तान ।


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