चींटी हो तुम
चींटी हो तुम
सूक्ष्म निरीह असहाय हो
यह फिर याद दिलाये हाथी
जब चाहे मसल दूँगा
यह एहसास दिलाय़े हाथी
सीधा चलना कभी ना डरना
अनुशासन का पालन करना
नीयति है चींटी की
छोटी सी यह बात कभी भी
समझ ना पाये हाथी
हठ नहीं है
पर यह है प्रकृति चींटी की
जाने समझे फिर भी
हाहाकार माचाये हाथी
नाक में दम हो जायेगा जो
काट लिया चींटी ने तो
फिर पछताये हाथी
इतनी छोटी सी होकर भी
हाथी सोचे मेरे बारे
सोच सोच के मन ही मन
यो मुस्काये चींटी।।