चीनी सामानों का बहिष्कार करे
चीनी सामानों का बहिष्कार करे
कुछ ऐसे ढंग से इस चीन को बहिष्कारा जाए,
घर की चीनी को भी शक्कर कहके पुकारा जाए।
भारत चीन में भाईचारा कैसा,
हम रक्षक वो भक्षक है,
पशु-पक्षियों को पूजे भारत,
और चीन निगलते तक्षक है,
नागराज को हम दुध पिलाते,
वो कच्चे सांप चबा जाते हैं,
उनके सैनिक हम सकुशल भेजते,
हमारे जवान वो चिथडो़ में लौटाते है,
गलतियां वो पहले वाली,
हमको अब नहीं दोहरानी है,
आर्थिक रुप से रीढ़ तोड़कर,
चीन को उसकी औकात दिखानी है,
खेल खिलौने झालर फूलझडि़यां,
देसी वाले ही घर मे लाना है,
मेड इन इंडिया के सामानों से,
हर त्यौहार हमें मनाना है,
ना भारत का,ना भारतीयों का,
समर्थन चीन कभी अब पाएगा,
जो चीनी सामान देख ललचाए,
महामारी का दौर ज़हन में आएगा,
कितने घोंसले उजड़ गए,
जाने कितने घर बिखर गए,
चमगादड़ को ग्रास बनाकर ,
ये चीनी असंख्य जीवन हर गए,
कभी ना भूलेगा भारत ,
वो दिन अदृश्य बिमारी के,
लाशों की वो कतारें सारी,
कैद में जीवन महामारी के,
धन गया, जीवन गया,
गया धंधा,रोज़ी,व्यापार,
कीड़े मकोड़े के भक्षी चीन ने,
बीमार किया ये सारा संसार,
दर दर में सब भटक रहे,
बिन काम,अन्न,मकान,
चीन से आऐ विषाणु से,
भर गए सारे श्मशान,
बहिष्कार धूर्त चीन का,
तभी संभव हो पाएगा,
जब बच्चा बच्चा भारत का ,
दिल से स्वदेशी अपनाएगा,
त्यौहारों की चमकीली चौंध में,
जो ईमान कभी तेरा डगमगाया,
याद करना उन लावारिस लाशों को,
जिन्हें चीन ने प्राणहीन था बनाया...