चिडिया बेचारी
चिडिया बेचारी
एक रही चिड़िया बेचारी,
जो थी बड़ी भूख की मारी |
पड़े कहीं पर चावल पाये,
झट से लाकर उन्हें पकाये |
एक थाल में रख कर उसको,
ठंडा करने बैठ गई पर |
घंटी बाजी उठकर देखा,
आये थे मेहमान कई घर |
उन्हें देखकर झटपट बोली,
आओ-आओ, अंदर आओ |
अभी बनाया भात गरम है,
तुम भी थोड़ा-थोड़ा खाओ |
मिलकर के सबने हँस-हँस कर,
मीठा गरम भात फिर खाया |
चिड़िया के संग फुदक-फुदक फिर,
मधुर सुरीला गाना गाया |
खाकर और खिलाकर फिर तो,
चिड़िया बड़े मजे से सोई |
मिली ख़ुशी जो चिड़िया को थी,
उससे बड़ी ख़ुशी न कोई |