चिड़िया का हौसला
चिड़िया का हौसला
वो तड़प रही थी,
चीख पुकार कर रही थी ,
किसी ने न सुनी उसकी कराह ,
उन गिद्धों ने नोचा - खरोंचां
वो फिर संभली, उठी पूर्ण शक्ति के साथ
उन गिद्धों पर टूट पड़ी
आज वह शक्ति स्वरूपिणी लग रही है
जो कुछ क्षण पहले कराह रही थी
अचानक उस पर जो बिजली गीरी थी
अब वह दामिनी बन महिसासुरों पर टूटी है
सर्वनाश कर ही दम लिया उसने
शपथ ली मन में अब माहिसासुरों को न बख्शा जायेगा
हर चिड़िया स्वछंद विचरेगी निर्भय हो आकाश में
