छूटते नहीं हो
छूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
मैं कितना सताता हूं तुम्हें
तुम क्यों टूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो...
जबसे मिले हो
बस दिया ही है
तुमने
कभी दुआएं दी है
कभी मुस्कुराहटें दी है
कभी तुमने मेरा
वजूद दिया है मुझ को
और अब भी
कुछ माँगा नहीं है
बस इतना कहो
क्यों तुम मुझसे
कुछ मांगते नहीं हो...
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
मैं कितना सताता हूं तुम्हें
तुम क्यों टूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो.....
तुम को कभी मैंने
उदास नहीं देखा
किसी दुःख दर्द को
तुम्हारे आस पास
नहीं देखा
जब भी देखा है
तुम्हें
कुछ बांटते हुए ही देखा
लेकिन वो सिर्फ ख़ुशियाँ थी
आशाएँ थी
उम्मीदें थी
ख़्वाहिशें थी
कोई दर्द नहीं था
तुम क्यों अपना
कोई दर्द
मुझसे बांटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
मैं कितना सताता हूं तुम्हें
तुम क्यों टूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
पकड़ा है तुमने
मेरे हाथ को
अपने हाथों में
कुछ यूँ
मेरी तमाम उदासियाँ
मुझसे खफ़ा रही हो
ज्यूँ
अपनी साँसों से तुमने
महकाया है मेरा जीवन
यह जीवन नहीं है मेरा
यह मुझ में है
तुम्हारा क़र्ज़
शायद यही वज़ह है
तुम मुझसे कभी
रूठते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो
मैं कितना सताता हूं तुम्हें
तुम क्यों टूटते नहीं हो
जाने क्यों तुम मुझसे
छूटते नहीं हो...