छलके जाम
छलके जाम
जाम छलकाते हैं ,
जाकर मयखाने में लोग ,
पैमाने सब बदल जाते है ,
आजमाते ही लोग।
गर गम मिट जाता ,
पीने से जाम को ,
तो बेहोश क्यों होते है ,
पीते ही जाम को।
हर शाम को चलता है,
जो पैग मोहब्बत का ,
वह खुशियों से भर देती,
हर पल जिंदगी का।
पीते हैं लोग नशे को,
शराब बना कर ,
काश पी पाते सभी अपनी,
खताओं को,
सुर आब समझ कर,।