चेहरा
चेहरा
किश्तों मे ज़िंदगी का रूप वो दिखाते रहे
हम गुम सुम से उनकी बातों को सुनते रहे
साफ़ लफ़्ज़ों में खैंची धुँधली तस्वीर उनकी
चाँद मे छुपे साऐ का प्रतिबिंब निराला था।
मौका भी था, वक्त की नज़ाकत में एहसाँ उनका
दिल, दिमाग किसी की धरोहर नहीं, अंदाज न था !