STORYMIRROR

JAI GARG

Abstract

2  

JAI GARG

Abstract

चेहरा

चेहरा

1 min
98

किश्तों मे ज़िंदगी का रूप वो दिखाते रहे

हम गुम सुम से उनकी बातों को सुनते रहे


साफ़ लफ़्ज़ों में खैंची धुँधली तस्वीर उनकी

चाँद मे छुपे साऐ का प्रतिबिंब निराला था।


मौका भी था, वक्त की नज़ाकत में एहसाँ उनका

दिल, दिमाग किसी की धरोहर नहीं, अंदाज न था !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract