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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Romance

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Romance

चेहरा

चेहरा

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लबों से कह दो

लफ्जों का साथ न दे

तेरी खामोशियों का शोर बहुत है ।।


दोनों बेवजह बदनाम होंगे

छेडी रागिनी जो कुंठित दमित

अवचेतन अंतर्मन की सिसकियां ।।


बहुत मुश्किल हुआ 

बहुत बदनाम हुआ


खुद से खुद को तोड़ने में

औरों के पसंद से जोड़ने में


कदम दर कदम बढ़ाता रहा 

गैरों की उम्मीद सजाता रहा


मैं मैं ना रहा

वो वो ना रही


चेहरे पर चढ़ाया इतना चेहरा

भूल गया अपना असली चेहरा ।।



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