चौपाल में
चौपाल में
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उलझ कर रह गया मेरा गांव नेताओं के जालों में,
गाँवों की मरम्मत अब होगी कब, कितने सालों में।
ये नदी, नाले ये तट तरुवर इनकी कीमत भी मंदी है,
बताओ कब तक बैठोगे बाँधे पगड़ी चौपालों में।