चापलूस
चापलूस
माछी तो माछी रहे गुड़ देखे ललचाये ,
चापलूस बोल मीठे बोल बोल लहाये !!
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भावार्थ----:
मेरी इन पंक्तियों में मैंने चापलूस की तुलना गुड़ से की है ,
माछी की तुलना , उस इन्सान से की है जिन्हे चापलूसी
पसंद आती है !!
आज के समय में प्रायः यह देखने में आ रहा है ,
सच्चे ईमानदार इन्सान की कदर नहीं ,
जहाँ देखो वहाँ बस चापलूसों का ही बोलबाला है !!
