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Kumar Vikash

Abstract

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Kumar Vikash

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चापलूस

चापलूस

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माछी तो माछी रहे गुड़ देखे ललचाये ,

चापलूस बोल मीठे बोल बोल लहाये !!

..........

भावार्थ----:

मेरी इन पंक्तियों में मैंने चापलूस की तुलना गुड़ से की है ,

माछी की तुलना , उस इन्सान से की है जिन्हे चापलूसी

पसंद आती है !!

आज के समय में प्रायः यह देखने में आ रहा है ,

सच्चे ईमानदार इन्सान की कदर नहीं ,

जहाँ देखो वहाँ बस चापलूसों का ही बोलबाला है !! 


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