STORYMIRROR

Vivek Netan

Romance

3  

Vivek Netan

Romance

चाँद

चाँद

1 min
460


आसमान का चाँद भी कुछ मुझसे नाराज है

मेरा चाँद जिस दिन से जब से मेरे साथ है

जब से निकलने लगा है मेरा चाँद सँवर के

आसमान का चाँद अपने दाग से परेशान है।


छु ना पाए हम कभी आसमान के चाँद को

और छूने से डरते हैं हम अपने ही चाँद को

यह कैसी हो गई है अब हालत मेरे दिल की

वो पास होकर दूर और दूर हो कर भी पास है।


आज तक तो जिए हैं हम अंधरो के सायों में

अब जा के आये हैं हम चांदनी की बाँहों में

दोनों चाँद ही जलते हैं देख कर एक दूजे को

मगर हम क्या करे दोनों ही से मेरी पहचान है।


रे आसमान के चाँद तेरे साथ तो लाखो तारे हैं

हमारे पास और क्या है बस बो ही तो हमारे हैं 

कैसा है यह रिश्ता उन दोनों चांदों के बीच में

दोनों का ही मेरी जिंदगी पर कुछ न कुछ एहसान है। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance