चाँद तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
चाँद तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
चाँद! तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
क्या तुझे किसी ने ताना मारा है?
या फिर तू किसी से रूठ गया है?
जरूर अपनों से धोखा खाया है?
या फिर कष्ट कोई बड़ा पाया है?
चाँद! तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
क्या कवियों ने तेरी उपमा बंद कर दी?
या सूरज ने रोशनी अपनी मंद कर दी?
क्या किसी ललना के वदन ने तुझे छला है?
या वामपंथ की राह पर तू चला है?
चाँद! तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
क्या कमलिनी आज खिली नहीं है?
या ज्योत्सना तुमसे मिली नहीं है?
क्या दूर कहीं से आते मेघों का डर है?
या तुझे चढ़ा जूड़ीताप ज्वर है?
तू ही बता ए चाँद! तू आज टेढ़ा क्यूँ है?
क्या कोई गड़ा धन कहीं पाया है?
या फिर रूप पर घमंड आया है?
चाँद! तू आज टेढ़ा क्यूँ है?