राष्ट्र सर्वप्रथम
हे कलम वीरों! या तो अपना धर्म निभाओ, या फिर लेखन कर्म छोड़ दो। हे कलम वीरों! या तो अपना धर्म निभाओ, या फिर लेखन कर्म छोड़ दो।
क्या कवियों ने तेरी उपमा बंद कर दी? या सूरज ने रोशनी अपनी मंद कर दी? क्या कवियों ने तेरी उपमा बंद कर दी? या सूरज ने रोशनी अपनी मंद कर दी?
नील-गगन के कृष्ण-वसन को, धीरे-धीरे दरकते हुए, पल-पल बदलते रक्त, पीत, श्वेत रंगों का नील-गगन के कृष्ण-वसन को, धीरे-धीरे दरकते हुए, पल-पल बदलते रक्त, पीत, श...
झर-झर निर्झर-से झरते अश्रुकण, निष्फल ही रहते मेरे श्रमकण, झर-झर निर्झर-से झरते अश्रुकण, निष्फल ही रहते मेरे श्रमकण,
जितना विश्वास का ढांचा जर्जर, एक घर में कितने घर? जितना विश्वास का ढांचा जर्जर, एक घर में कितने घर?
क्या तुम एक यंत्र हो या अनथक जीवन का मंत्र हो। क्या तुम एक यंत्र हो या अनथक जीवन का मंत्र हो।
चुभती है शलाका-सी हर निगाहें, समाने को आतुर मुझे सबकी बाहें, सहमी-सहमी सी ऐसी जिंदगी चुभती है शलाका-सी हर निगाहें, समाने को आतुर मुझे सबकी बाहें, सहमी-सहमी सी ...