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Forum Shah

Drama

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बुज़ुर्ग शायरी

बुज़ुर्ग शायरी

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किसी घर मे बुज़ुर्ग,

की इज़्ज़त है,

तो किसी घर मे सिर्फ,

देनेवाले दाता 'भगवान' की।


भगवान के पीछे,

दौड़ते हो,

घर मे बैठे भगवान को,

अनदेखा करते हो।


भगवान बोलते नहीं,

इसलिए अच्छे लगते हैं,

बाकी बुज़ुर्ग का बोलना तो,

कानो में खटकता है।


घर में भगवान,

का कमरा है,

पर बुज़ुर्ग को रखने,

तक की जगह नहीं।


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