ऐ इन्सान
ऐ इन्सान
तू तो है इस जग की एक शान,
फिर भी क्यों रहता है परेशान ?
प्रकृति से मिलता है तुझ को कितना ज्ञान,
फिर भी तू क्यों रहा अज्ञान ?
अहं को छोड़ दे, मिलेगा तुझे मान
फिर देखना चेहरे पे बनी रहेगी मुस्कान।
व्यर्थ की बातें करना छोड़ दे, बन जा बुद्धिमान
फिर बनी रहेगी इस जग में तेरी अच्छी पहचान।
जीवन की इस जंग में कर दे सबका कल्याण,
फिर जग बन जाएगा तेरा एक खानदान।