बूंदे आशिकी
बूंदे आशिकी
बारिश की बूंदे बरसी हैं जब से
आशिक की सांसे अटकी हैं तब से
माना कि प्यार की ये कठिन परीक्षा है
मिलना है जरूरी तो भीगने से क्यौं डरना है ।
ये भीगा मौसम मन का मिलाप कराये
आंखो के अश्रू अलग से पहचान पाये
चाह में मन बहूत खिल खिलाये
ऐसी बारिश में भी मिलने बुलाये ।
बुलावा प्यार का ,
वो भी पहली बार का
एक उत्साह अलग मन में लाता
दिल को भाया तो छाता लेके चल ना ।
ये बारिश न जाने कब रूके
ऐसे में मन जाने की कैसे कहे
रूके तो चले मिलने का विचार करें
पर मिलने के बाद बारिश जोर की बरसें ।
ये बारिश और सर्दी
दिल की है अजीब सी सहमति
पर इस मौसम की कौन जाने मर्जी
ये बुलावा प्यार का हो सकता है फर्जी ।
बारिश में साजिशें अक्सर रची जाती है
बारिश में पसीने की बात नहीं की जाती है
जब हो बारिश तो भीगने का भी नाटक होता है
संग उसी की अच्छा जो भीगकर अपनों को बचा लेता है ।
ये बारिश बहूत पूरानी है
हर बार अलग अंदाज में आती है
कभी बूंद बूंद बरस कर कीचड करती है
फिर जोर से बरस कर कीचड बहा देती है ।
ये मन बारिश सा हो गया है
बूंद बूंद साथ निभा लेता है
जिद पर आने पर खफा होता है
सब कुछ छोड अकेले में रोता है ।
ये बूंदे न जाने क्या विचार करती है
अपनी गति कम और ज्यादा कैसे करती है
हवा के संग में अपना आपा खोती है
तेजी से गिरी है तो पीडा भी तेज होनी है ।
ये बारिश की बूंदे बरसी है जब से
मन में चंचलता ले आयी तब से
ये बारिश राहों में भीगोयें या बहायें
पर आशिकी में मिलना जरूरी है ।
