बूंद भर खुशी
बूंद भर खुशी
चलो आज की रात
कुछ उदासी भरा लिखते हैं
की लिख दे रात बिखर गई है
और नीले तारे बिछड़ गए हैं
कि लिख दे ये रात गा तो रही है
पर हवा चुप है तो कोई सुनता नहीं
हाँ, आज की रात उदासी भरा कुछ लिखते हैं
याद जो आ गया
वो प्यार जो हम करते थे
उससे भी ज्यादा वो हमसे करते थे
अनन्त आकाश के छांव मे ही तो
हमने इज़हार किया
हाँ बाहों में भर कर
जी भर कर प्यार किया
आज वो प्यार भी
इस रात की तरह बिखर गया है
हाँ कैसे भूल जाए
उन समंदर सी आंखो को
अपने सारे सवालों का जवाब
जिनमे ढूँढा करते थे
लगता है जैसे इस गम को जीने के लिए
खो दिया हमने उन्हें बस
उनके बिना कैसे रह पाएंगे
ये जानने के लिए
अब इस तन्हाई में उन्हें महसूस करते हैं
चलो आज की रात कुछ उदासी भरा लिखते हैं
क्या फर्क़ पड़ता है
हम बिछड़ गए हैं
दिल फिर भी तो उसी की राह देखता है
जो साथ नहीं है
हमे यक़ीन हो चला था
की अब हमे उससे प्यार भी नहीं है
पर फिर भी आसमान से गिरती
एक एक बूंद रूह को छलनी कर रही है
फ़िर हवाओं में जैसे उसकी याद घुल रही है
उफ्फ ना चाह कर भी
उसी से प्यार करते हैं
चलो कुछ उदासी भरा आखिरी बार लिखते हैं।