बुरी नजर से बचा सके
बुरी नजर से बचा सके
सर पर कफ़न बांध कर वो नन्हा भगत आज़ादी का दीवाना हुआ,
नहीं मुड़कर पीछे फिर देखा एक बार जो आज़ादी के लिए मर मिटने की ठान ली,
ना ही अपनों के प्रति किसी फ़र्ज़ की चिंता की न ही अपनी खुशियों की कोई परवाह की,
जब उसके सर पर देश प्रेम का नशा चढ़ा बस आज़ादी पाने का नशा,
फिरंगियों से बस देश को आज़ाद कराना है बन गया मकसद उसका,
देश की खातिर अपनी नींद तक कुर्बान कर दी ऐसा था वीर भगत,
जाने कितने जुल्मों सितम सहे जेल में फिरंगियों के फिर भी उफ्फ तक ना की,
हँसते हॅंसते मौत को गले लगा लिया फांसी के फंदे को चूमकर,
नाज़ है हमको अपने वीरों पर जो हिम्मत वाले जांबाज़ थे,
और ये फिरंगी कहते है अब कि वो दीवाने तो आतंकवादी थे,
ना करो अपमान उनकी शहादत का आतंकवादी कहकर उनको,
वो तो वो वीर शहीद थे जिनको हर पल हर दिन हर हिंदुस्तानी याद रखता है,
उनकी शहादत को कोई भी कभी ना भूल पायेगा जब तक हिंदुस्तान का नाम रहेगा,
है सत सत नमन मेरा उनको ऐसे सपूत हर घर में पैदा हो जो इस देश को हर पल बचा सके बुरी नज़र वालो से।