STORYMIRROR

Kavita Sharrma

Abstract

3  

Kavita Sharrma

Abstract

बुद्धि और सुंदरता

बुद्धि और सुंदरता

1 min
454

बुद्धि और सुंदरता में हो गई इक दिन चर्चा

दोनों में कौन अधिक है अच्छा

सुंदरता को बड़ा अहं था अपने सुंदर होने पर

अपनी आकर्षित करने वाली अदाओं पर

पर बुढ़ापा आने पर सारी चमक गायब हो जाए

खूबसूरत चेहरे पर झुर्रियां नज़र आएं

बुद्धि ने भी अपना मत गर्व से आगे रखा

बोली बुद्धि बल से ही हर कोई आगे बढ़ है सकता

सही गलत की पहचान भी बुद्धि के निर्णय से होय

बिना सुंदर हुए भी बुद्धि वाला विजयी होय

आखिर में सुंदरता हारी बुद्धि के आगे

सच ही है बिना बुद्धि के इंसान कुछ नहीं कर पावे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract