बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
अनुपम मनमोहक छटा, निकट शीत का अंत
शुक्ल पंचमी माघ की, मनभावन है बसंत।
महाविद्या सुरपुजिता, विद्या का दो दान
ज्ञान बुद्धि दे दो हमें, मिटे समूल अज्ञान।
श्वेत कमल आसन मैया, धारें वीणा हाथ
भाग्य नीलम का चमकादो, संग लक्ष्मी मात।
नीलम को करना प्रबल, सद्बुद्धि दो मात
धवल कमल विराजतीं, ब्रह्मा जी के साथ।
बुद्धि दायिनी शारदे, दिव्य दर्शन ज्ञानस्वरूप
ऋद्धि-सिद्धि, बुद्धि विद्या, मिले करम अनुरूप।।
