बसन्त के राग गाए हैं
बसन्त के राग गाए हैं
इश्क की बातें आज सभी के मन मंदिर में डोलेंगी।
कामदेव और रति की बतियाँ जीवन में रस घोलेंगी।
मदनोत्सव हम लोग यहाँ सदियों से मनाते आए हैं।
पूरे एक माह तक बसन्त के राग भी हमने गाए हैं।
आज नई पीढ़ी इस दिन का बढ़-चढ़कर इज़हार करेगी।
एक दूजे को गुलाब देकर जीवन को गुलजार करेगी।
देश की खातिर जो मर गए हैं, उनको ना वह याद करेगी।
वैलेंटाइन- डे का जादू सर पर चढ़कर नाचेगा?
वैलेंटाइन- डे याद रहेगा,मदनोत्सव न जानेगा।
पता नहीं शायद उनको कि आज शहीदी बरसी है।
जिसकी कसक आज तक दिल में फाँस बनी हुई अटकी है
याद न करूँ वेलेण्टाइन डे, न मदनोत्सव याद करूँ।
आज का दिन है बहुत खास,बस सबसे इक फरियाद करूँ।
आज का दिन है बहुत खास, तुम सबको यह बतला दूँ मैं
आज के दिन क्या हुआ था,सबको दोबारा जतला दूँ मैं।
वैलेंटाइन डे तो याद है, आज और कुछ याद करो,
चालिस वीर शहीद हुए थे, आज का वो दिन याद करो।
एक आत्मघाती हमलावर कई जिन्दगी लील गया।
सीमा के रक्षकों को मौत की गहरी नींद में सुला गया।
कितनी कोख उजड़ गईं, कितनी माँगों का सिन्दूर धुला।
कितने बच्चे हो गये अनाथ,हाय कैसा अभिशाप मिला।
स्तब्ध सभी रह गये थे, पर हिम्मत न किसी ने हारी थी।
उस हरकत का बदला लेने की पूरी तैयारी की।
बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक कर, आतंकियों को भून दिया।
वीर सपूतों ने माता का गर्व से ऊँचा भाल किया।
आओ मिलकर नमन करें हम ऐसे वीर जवानों को।
सीमाओं के प्रहरी को,आजादी के दीवानों को।