बस रोता नही हूँ part2
बस रोता नही हूँ part2
उम्मीद पे बस ज़िंदा हूँ,
उम्मीदों से हारा हूँ
मुख्य धारा से कटा हुआ,
एक वीरान किनारा हूँ अकेला हूँ
बेचारा हूँ, मैं बस हालात का मारा हूँ
अब कहने को कुछ रहा नहीं
अपनों का भी भरोसा खोता मैं हूँ!
बन्द आंखों से भी सोता नही हूँ ,
दर्द बहोत बस रोता नही हूँ।।
हम लाख सम्भाले तो भी क्या,
हर बात का मुजरिम होता मैं हूँ।