वो लोग भी मेरे अपने हैं जिनके जख्मों को धोता मैं हूँ वो लोग भी मेरे अपने हैं जिनके जख्मों को धोता मैं हूँ
हम लाख सम्भाले तो भी क्या, हर बात का मुजरिम होता मैं हूँ। हम लाख सम्भाले तो भी क्या, हर बात का मुजरिम होता मैं हूँ।