बस इतना हो जाये
बस इतना हो जाये
अब वो हाथ भी नहीं मिलाते,
बात बात पर, जो मिलते थे गले लग कर।
आगे पीछे दो गज़ की दूरी रख,
रखते हैं, वो पैर संभल कर।
यह कैसे हालात हुए है ?
सेनीटाईज़र से जज़्बात हुये हैं।
छिड़कते सबसे पहले सेनीटाईज़र हाथ में,
मास्क पहना देते साथ में।
घर से निकलता नहीं अक्सर मैं अब,
ना जाने किस गली, किस मोड़ पर ?
खड़ा हो कोरोना, कौन सा रूप धर।
हाल मेरा बेहाल है, बदल गयी मेरी चाल है।
सब्ज़ी की दुकान हो या हो परचून वाला,
जाने कहाँ से चल जाये कोरोना का भाला।
हर आदमी पर शक करता हूँ,
छींकते / खाँसते हर शख़्स से अब मैं डरता हूँ।
हर बिल ऑनलाइन ही भरने लगा।
पड़ोसन भाभी पर भी शक करने लगा।
पोंछा मार मार कमर टूट गयी है,
दोस्तों की मंडली छूट गयी है।
बात बात पर डाँट देती, मगर प्यार से,
कई बार रोटी खिलाती आचार से।
तारीफ़ करनी पड़ती झूठी ,क्योंकि
खाना अब नहीं मिलता बाज़ार में।
बर्तन जब भी चमका देता हूँ
प्यार उमड़ जाता उसका।
चाय ग़र न ठीक बने ,
मुँह बन जाता उसका।
मोदी जी ने थाली बजवाई ,
दीये जलवा दीवाली मनवाई।
कोरोना से लड़ने की,
क्या ख़ूब हिम्मत दिलवाई।
कोरोना ने भाई खूब डराया,
ब्लड प्रेशर भी मेरा बड़ाया।
अब अन्लाक हुआ है ,
ऊपरवाले की दुआ है।
कामवाली भी आयी है,
मास्क लगाये पड़ोसन भी, मुस्काई है।
दिन रात प्रभु से एक अरदास करूँ मैं,
कोरोना से बच जाऊँ।
होटेल में खाना खाऊँ।
इटली घूम कर जब वापिस आऊँ।
चौदह दिन न क्वॉरंटीन हो जाऊँ।
बिन मास्क प्यारी पड़ोसन मुसकाए ,
बस इतना हो जाये, बस इतना हो जाये।
