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अमित प्रेमशंकर

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अमित प्रेमशंकर

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बरसे सावन के रिमझिम बदरिया

बरसे सावन के रिमझिम बदरिया

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सावन के रिमझिम बदरिया

गीत गावेली पूरवी बयरिया

बरसे सावन के रिमझिम बदरिया

गीत गावेली पूरवी बयरिया...कि एहो रामा..!!

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना।

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना।


महके फूलवा के बगीया जहां जाई हो

लागे दुल्हिन सी पूरी, धरती माई हो

बाटे नदिया के धारा जे कल कल करी

कवना माया से दुनिया बनवला हरी

भईलीं देखीं के हम तो बावरिया...

गीत गावेली पूरवी बयरिया...कि एहो रामा.!!

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना।

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना।


चांद के रूप अईसन सलोना हवे

चांदनी,चांद से भी त कम ना हवे

गावे सोनम मगन में इ कजरी के धून

कबो स्याही अमित के खतम ना हवे

भईले रैना उगल बा अंजोरिया

झूमी नाचेली लोगवा बहरिया .. कि एहो रामा

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना

कि एहो रामा

चह चह चहके चिरईयां

कि मनवा बहके लागल ना।


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