बरसात
बरसात
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आगाह है आज रात बरसात होने की
डायरी का सूखा गुलाब एक बार फिर खिलेगा
सुकून की करवट लेगा वो हर एक पन्ना
जिस पर बेचैनी का कभी ग़म लिखा था
आज रात को फिर एक बार, उसके नाम
की चाय बनेगी
जिसकी भांप से बरसों पुरानी यादें ताजा होंगी
चाँदनी भी अलग नज़ारा देखेगी
तन्हाई का दामन छोड़, बारिश गले लगेगी
सिरहाने रख आज जुदाई को
तेरे ख्वाबों को ओढ़ आज सोऊंगी मैं