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Sarraf Ji

Classics Others Children

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Sarraf Ji

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बरसात की बूंदों में

बरसात की बूंदों में

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बरसात की बूंदों में रंग भरा,

मिट्टी को भिगो दिया, पृथ्वी को सजा।

धुप बुझा, मौसम हुआ शांत,

पर्वतीय प्राण जाग उठे, प्रकृति ने धूल बंदूक छुड़ा।


तरंगों में नाच रही झरनों की लहरें,

पृथ्वी पर रोमांच भरा नया मंजर।

पौधों को जीवन दे रही बूंद,

आकर्षित कर रही सबकी नजर।


प्रकृति का खेल है बारिश की गाथा,

हर किसी को ले जाती है अपनी भावना में।

फूलों को चुंबन दे, जलती हुई धरती को ठंडक पहुंचाती है,

अंतर्द्वंद्व को मिटा देती है बारिश की धुंद में।


मन को तरंगों में ले जाती है बरसात,

चारों ओर बना देती है सजा।

प्रकृति की गोद में लहरों का लहंगा,

बरसात की आवाज़ में गाता है रागा।


बूंदों की गिनती करती है धरा,

हर बूंद बनाती है रिश्ते नए।

प्रेम, आशा, सक्षमता की धरा,

बरसात की छाँव में ताजगी भरे।


बरसात की गोद में भिगो जाती है धरा,

आँचल बनकर समेट लेती है सबको।


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