बन्दर बाँट
बन्दर बाँट
जश्न तो हम ऐसे
मना रहे हैं,
अपने दुश्मनों को
कोई अच्छा
सबक सीखा रहे हैं !
अब बन्दर बाँट
वहां की धरती की होगी,
फिर लोगों का
जमाबड़ा होगा
और फिर महफिल सजेगी !
370 को हटा कर
लगता है कोई
खजाना मिल गया,
अपने ही लोगों के
कलेजे पे दाल दलना
सीखा दिया !
विकास के सब्ज बागों
को दिखा के
उनको कैद कर दिया,
टेलीफोन, इंटरनेट सुविधा
को पंगु बना दिया !
घर
से बाहर निकलना
उनका दूसबार हो गया,
कैद में रखकर सभी को
कैदी बना दिया !
कहते हैं "वे तो अपने हैं "
फिर उनकी आज़ादी
कहाँ गयी ?
अपने दर्द को कह नहीं सकते
उनकी चाहत
कहाँ गयी ?
अपनी व्यथाओं से कोई
कराह रहा है
उसकी किसी को
परवाह नहीं,
उसके घर की बोली
किसी को रुकवाने
की चाह नहीं !
जब तक हम उनके
जख्मों को भर
ना सकेंगे,
तब तक हम जीवन भर
उसके हो ना सकेंगे।