Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

बंध खिड़की की दरार

बंध खिड़की की दरार

2 mins
268



हाँ वो बंद खिड़की की वो दरार आज भी 

याद दिलाती है मुझे अपने बीते लम्हों की दास्तां


वही लम्हें जो हमने साथ बिताए थे

उसी बंद खिड़की के पास जहाँ बैठा करते थे


उस बंद खिड़की की दरार से आज भी हवा गुजरती है

जैसे हमारी साँसे बयां करती थी हमारा हाल-ए-दिल


अभी भी वो पेड़ वो बंद खिड़की को छूता है

जिस तरह तुम मेरे हाथ को छुआ करते थे


उस बंद खिड़की की दरार से अभी भी रोशनी आती है

जैसे तुम्हें देखकर मेरी आँखों में कभी चमक हुआ करती थी


वो मकान वो बंद खिड़की अब सुनसान लगते हैं

जैसे मैं तन्हा, अकेली हूँ तुम्हारे बिन


आज भी वो बंद खिड़की से गूंज सुनाई देती है

ऐसे ही जैसे तुम मेरा नाम पुकारा करते थे


आज भी वो बंद खिड़की को आस है, कभी तो खोली जाएगी

जैसे मैं अभी तक तुम्हारी राह तकती हूं, एक दिन तो तुम आओगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance