बनारस
बनारस
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बनारस मुझे इसलिए भी पसंद है
क्योकि इसके एक घाट पर बैठकर
हम उसके दुसरे घाट पर जीवन का
अंतिम सच देख सकते है...
जीवन का अंतिम सच मृत्यु से
सजा मणिकर्णिका घाट ही हमारी
आखिरी मंजिल है...
और हम ताउम्र इस सच को भुलकर
गंगा की लहरो मे गोते खाते रहते है...
जब मंजिल मणिकर्णिका है तो
गंगा की लहरो मे क्यो उलझते है?
जब मृत्यु सच है तो जीवन से प्रेम
क्यो करते है?
क्यो किसी के मरने पर दुखी होते है?
क्यो किसी के जीने से खुश होते है?
शायद हम डरते है कडवा सच स्वीकार
करने से और बहते रहते है भ्रम की गंगा मे ताउम्र...