बनारस
बनारस
तू गंगा की लहरें
मैं घाट का किनारा हूँ
तू मंदिर की प्रार्थना
मैं मस्जिद का अजान हूँ
तू दशाश्वमेध घाट की अलौकिक आरती
मैं गंगा उस पार की सुनहरी शाम हूँ
तू बाबा विश्वनाथ के मंदिर मे बस्ती है
मैं भी कालभैरव जी की गली में रहता हूँ
तू बनारस की मीठी छनती जलेबी है
और मैं बनारस का चटपटा चाट हूँ
तू वीरांगनाओं की जन्मस्थली रानी लक्ष्मीबाई सी
मैं राम गुन प्रवाह करता कबीर दास हूँ
तू गंगा जैसी शीतल जल
मै अस्सी घाट का पवित्र किनारा हूँ
तू सारनाथ जैसी ज्ञान प्रशस्त करती संदेश
मैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसा प्रशस्त करता ज्ञान हूँ
तू संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी जैसी संस्थान
मैं ठहरा अक्खड़ बनारसी इंसान हूँ
तू यहां सुर्ती ठोकती पक्की नशेड़ी
मैं राम नाम धुन गाता अक्खड़ योगी
तू यहां रंग में भंग जमाती
मैं यहां गंगा में गोते लगाता
तू बनारस के रामनगर की लजीज लस्सी
मै भी राम भंडार का चटपटा कचौड़ी
तू मां दुर्गा की फेरी लगाती
मैं आलमगिरी मस्जिद में बिस्मिल्लाह पढता
तू बाबा मशान में रंग जमाती
मैं गुरुद्वारे में लंगर खाता।
