बिटिया
बिटिया
जब सुहानी याद में खोता हूँ,
अक्सर जब अकेला होता हूँ।
वो बातें उसकी अक्सर याद आ जाती हैं।
वो मुस्कुराते पल, हँसता हुआ चेहरा
वो खिली खिली सी पुष्प कली
वो नन्हे कदमों की चहल कदमी और मस्ती
वो जो हमेशा मौज में रहती और हंसती।
जिसकी मांगों की लिस्ट ना होती कभी पूरी
एक के बाद दूसरी ,दूसरी के बाद तीसरी
फिर भी ख्वाहिशें रहती है अधूरी।
वो उसकी नादानियाँ नटखट शैतानियाँ
दिल को छू जाती हैं जब वो सबको लाड़ जताती है।
वो बातें उसकी अक्सर याद आ जाती हैं।
वो प्यारी सी नन्ही सी पंखुड़ी
वो मेरे घर-आँगन की बिटिया कहलाती है।
रचनाकार: स्वप्निल जैन(छिन्दवाड़ा)
