बिन तेरे
बिन तेरे
कदम बढ़ा के तू आगे कहीं चल देगा
जाते जाते मुझे जीने की क़सम देगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं
एक यक़ीं था कि साथ ही वहाँ पहुँचेंगे
मगर तू हाथ छुड़ा के सब बदल देगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं
तेरे जाने के बाद भी मुझे चलना होगा
कभी ख़ुशी में कभी ग़म में संभलना होगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं
दिन गुजर जाएगा किसी भी तरह
फिर उसके बाद आसमाँ को तकना होगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं
वो पल जो तेरे साथ मेरे गुज़रे थे
उन्हीं पलों को याद करके चलना होगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं
कदम बढ़ा के तू आगे कहीं चल देगा
मेरे ख़याल में ऐसा कभी आया ही नहीं।