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Priyanka Karsel

Tragedy Others

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Priyanka Karsel

Tragedy Others

भावरहित

भावरहित

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ऐसा लगता है की पुरी दुनिया भूल जाऊं

बस उनमें और उनमें ही गुम हो जाऊं

उन यादों में रहने को 

ना पाने की चाहत थी ना अब बचा कुछ भी खोने को

डर लगता था उन पे हक जताने को 

मगर अब डर लगता है उनसे दूर जाने को

फिर मुलाकात न हो पाने को 

उन्हें भूल जाने को

दूर कहीं हवाओं के संग में बहती जाऊँ

ऐसा लगता है की में पुरी दुनिया भूल जाऊँ

अब बस धुंधली सी यादें बची है वह किस से कहूं

उन यादों को याद कर क्या रोती रहूँ

जिन्दा रह कर भी क्या उन यादों में मरती रहूँ

ऐसा लगता है की पुरी दुनिया भूल जाऊं

यूं उनके यादों के सहारे जिंदा रहूँ

कोशिश बहुत कि थी साथ निभाने की

अब कोशिश है उन्हें भुलाने की

उम्मीद ही थी वह जिंदा रहने को

ना उम्मीद कर वह छोड़ गए अब कुछ न रहा कहने को

क्या यही इनाम मिलता है किसी से उम्मीद रखने को

बेरंग थे पहले, चाहत थी रंगो से मुलाकात को 

रंगो से मुलाकात तो अब हो गयी 

मगर अब औकात नहीं ,हमारी रंग धरने को

ऐसा लगता है की पुरी दुनिया भूल जाऊं

यही चाहत है की मैं किसी के बेरंग जिंदगी में रंग भर पाऊं।



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