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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational Others

बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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कभी भी हमको गिरना नहीं,

कभी दिए वचन से फिरना नहीं।

बुरे कर्म कुछ करना नहीं,

सत्कर्म करने से हमें डरना नहीं।

सारी धन की कमाई ढह जाएगी,

बस जन की कमाई रह जाएगी।

संग मेरा प्रभु कभी तजना नहीं,

तुझे बिसराऊॅ॑ तो तू बिसरना नहीं।

कोई तुझ बिन जग में न साथ मेरे, प्रभुजी बिन फेरे हम तेरे।


स्वार्थ की सिद्धि होने तक,

अनवरत गान गुण गाते हैं।

जब स्वार्थ सिद्ध हो जाता है तब,

भूल सभी को जाते हैं।

स्वार्थ भरी इस दुनिया में,

विधि तक को हम बिसराते हैं।

विधि मन्दिर एकल ही भू पर,

पर हर सबको डरपाते हैं।

संहार शक्ति से भयाक्रांत हो,

सब कहते त्रिपुरारी हैं मेरे।

कोई तुझ बिन जग में न साथ मेरे, प्रभुजी बिन फेरे...


स्वार्थ साधने हित इस दुनियामें,

सब वादे बहुत कर जाते हैं।

जब स्वार्थ सिद्ध हो जाता है तो,

सब वादे भूल ही जाते हैं।

मिलना जुलना है बात बड़ी फिर,

छाया तक नहीं दिखाते हैं।

चालाकी नहीं छूटती इनकी,

और न बदल तो हम भी पाते हैं।

संतुष्टि इनको मिलती नहीं,

मेरा कुछ घटता न आशिष से तेरे।

कोई तुझ बिन जग में न साथ मेरे,

प्रभुजी बिन फेरे...


चाहे मैं कितने धोखे खाऊॅ॑,

पर कभी धोखा न किसी को दें पाऊॅ॑।

नहीं चाह मुझे कभी मोक्ष की है,

मैं न परहित में पुनर्जन्म पाऊॅ॑।

जितना प्रभु तूने दिया है मुझे,

मैं वृद्धि कर सर्वस्व लुटा जाऊॅ॑।

रहते वसुधा के अंक में भी मैं,

सदा तेरे चरण शरण का सुख पाऊॅ॑।

तेरी विस्मृति ही हों दु:ख मेरे और,

तेरी शरणागति ही हैं सुख मेरे।

कोई तुझ बिन जग में न साथ मेरे, प्रभुजी बिन फेरे...


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